Ganjbasoda जीवन में अभिमान के प्रवेश करते ही समस्त साधनाएँ व सद्गुण नष्ट हो जाते हैं – अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी डॉ. रामकमलदास जी वेदांती

स्वास्तिक न्यूज़ पोर्टल @ गंजबासौदा मध्यप्रदेश रमाकांत उपाध्याय/ 9893909059

जीवाजीपुर स्थित वेदान्त आश्रम में आयोजित श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ श्री राम कथा के तृतीय दिवस में श्री मद जगद्गुरु अनंतानंद द्वाराचार्य स्वामी डॉ. रामकमलदास वेदांती जी महाराज ने नारद मोह तथा श्रीराम जन्म महोत्सव का वर्णन किया।

उन्होंने कहा कि अभिमान सारी बुराइयों की जड़ है। जीवन में अभिमान के प्रवेश करते ही समस्त साधनाएँ व सद्गुण नष्ट हो जाते हैं। मनष्य कितना भी धनवान, विद्वान अथवा बलवान बन जाये फिर भी उसे जीवन में विनम्रतापूर्वक झुककर ही चलना चाहिए। महर्षि नारद इश्वर के सर्वश्रेष्ठ भक्त हैं किन्तु उनके जीवन में अपनी साधना का इतना अभिमान बढ़ा कि उन्होंने शंकर जी का कहना भी नहीं माना। इसी कारण वे विश्व मोहिनी माया के चक्कर में ऐसे पड़े कि उनके मन में सौन्दर्य बन विश्व मोहिनी से विवाह करने की इच्छा जाग उठी किन्तु भगवान ने उन्हें सुंदर स्वरूप देने की जगह बन्दर बना दिया जिससे वे दुनिया में उपहास के पात्र बने। अभिमानी व्यक्ति को संसार में उपहास का पात्र बनना पड़ता है।

परम पूज्य स्वामी वेदांती जी ने भगवान राम के अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि धरती पर जब-जब अन्याय, अत्याचार व अधर्म बढ़ता है, तब-तब धर्म एवं मानवता की रक्षा करने के लिए इश्वर प्राकृत मनुष्य के रूप में धरती पर जन्मता है। स्वामी जी ने दशरथ एवं दशानन की व्याख्या में बताया कि जो लोग अपनी दसों इन्द्रियों को विषय भोगों में लगाए रखते हैं, वे ही रावण हैं और उनके घर में काम के प्रतीक मेघनाद का जन्म होता है। मनष्य की कामनाएँ कभी तृप्त नहीं होतीं। दूसरी ओर जो लोग अपनी दसों इन्द्रियों को संयमित करके जीवन रूपी रथ को इश्वर की ओर ले जाते हैं वे लोग राजा दशरथ की तरह उनके घर में ही भगवान राम के रूप में अवतृत होता है। पुत्र की कामना से महर्षि वशिष्ठ के आदेश से राजा दशरथ जी ने एक विशाल यज्ञ किया। जिससे उनके घर में साक्षात भगवान चार पुत्रों के रूप में प्रगट हुए। सारी अयोध्या आनंदमग्न होकर सुख में डूब गयी।

राम जन्म प्रकरण में सुंदर वाद्य यंत्रों के साथ “भये प्रगट कृपाला” एवं बधाइयों के भजन गाये गए। सारा पांडाल राम भक्तिमय हो गया । माताओं ने व भक्तों ने नृत्य किया एवं बधाइयां लुटायी गयीं ।

 

यह कथाक्रम 26 फरवरी तक चलेगा। प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से साढ़े 4 बजे तक कथा हो रही है। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण पहुँच रहे हैं। सुवह के समय श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन हो रहा है जिसमे विश्वशांति मंगल कामना से आहुतियाँ दी जा रही हैं।